फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): इन्वेस्टमेंट से पहले जान लें ये 18 अहम बातें
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) लंबे समय से भारतीय निवेशकों का पसंदीदा विकल्प रहा है। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, जब भी अतिरिक्त पैसे की बात आती है, FD को एक सुरक्षित और भरोसेमंद जरिया माना जाता है। इसका कारण है पैसा सुरक्षित रहना और तयशुदा ब्याज दर पर रिटर्न मिलना। मगर निवेश करने से पहले कुछ बेहद ज़रूरी बिंदुओं को जान लेना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी तरह की परेशानी या पछतावा न हो।
FD में निवेश करने से पहले इन 18 बातों पर दें ध्यान
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अपना रिस्क प्रोफाइल समझें: हर निवेशक का जोखिम उठाने का स्तर अलग होता है। कुछ लोग मूलधन की सुरक्षा चाहते हैं, जबकि कुछ अधिक रिटर्न के लिए रिस्क लेने को तैयार रहते हैं। निवेश से पहले अपनी प्राथमिकता तय करें।
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रिवॉर्ड अपेक्षा स्पष्ट रखें: कोई निवेशक 4% रिटर्न में संतुष्ट है, तो कोई 10-15% की अपेक्षा रखता है। FD का रिटर्न सीमित होता है, इसलिए ज़रूरत के अनुसार विकल्प चुनें।
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टाइम फ्रेम तय करें: पैसा कितने समय के लिए निवेश करना है, ये ज़रूरी है। FD अल्पकालिक (1 साल तक) और मध्यम अवधि (1-5 साल) के लिए बेहतर मानी जाती है।
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निवेश का उद्देश्य जानें: पैसा एजुकेशन, शादी, घर खरीदने या रिटायरमेंट के लिए रखना है या सिर्फ बचत के लिए — इसका पहले निर्धारण करें।
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लॉन्ग टर्म निवेश के लिए FD सही विकल्प नहीं: 5 साल से ज़्यादा समय के लिए निवेश करने वाले FD के बजाय म्यूचुअल फंड, शेयर, गोल्ड, रियल एस्टेट, या ETF जैसे विकल्प चुन सकते हैं, जो अधिक रिटर्न दे सकते हैं।
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FD का मतलब: FD में बैंक या पोस्ट ऑफिस को एक तयशुदा समय के लिए पैसा उधार दिया जाता है, जिस पर बैंक ब्याज देता है। यह ब्याज दर और मूलधन तय होता है।
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ब्याज दर और टेन्योर का महत्व: ब्याज दर 3% से 8.9% तक हो सकती है, जो टेन्योर (समयावधि) पर निर्भर करती है। 364 दिन और 365 दिन की FD में भी अंतर होता है।
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मल्टीपल FD का फायदा: बड़ी राशि एक ही FD में रखने के बजाय छोटी-छोटी कई FD करवाना बेहतर है। इससे जरूरत पड़ने पर पूरी FD तुड़वाने की बजाय केवल जरूरी रकम वाली FD ही तुड़वाई जा सकती है।
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अलग-अलग बैंक में FD: बड़ी राशि के निवेश पर अलग-अलग बैंकों में FD करना चाहिए। DICGC नियम के अनुसार, एक बैंक में ₹5 लाख तक की जमा राशि ही बीमित होती है। अलग-अलग बैंकों में पैसा रखने पर पूरी रकम सुरक्षित रहती है।
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इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्टिंग: अगर एक बैंक में ₹10 लाख से ज़्यादा की FD कराई जाती है, तो बैंक आयकर विभाग को इसकी सूचना देता है। इससे बचने के लिए अलग-अलग बैंकों में राशि बांटना समझदारी है।
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पोस्ट ऑफिस FD की सुरक्षा: पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर DICGC नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की गारंटी होती है। इसलिए जोखिम लगभग शून्य होता है।
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TDS कटौती की जानकारी: सालाना ब्याज ₹40,000 (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000) से ज़्यादा होने पर TDS कटता है। यह फाइनेंशियल ईयर के अनुसार तय होता है।
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पैन कार्ड अनिवार्यता: FD कराते समय पैन देना ज़रूरी है। बिना पैन के 20% TDS कटता है। कटे हुए TDS का रिफंड नहीं मिलता, इसलिए पैन अपडेट रखें।
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ITR दाखिल कर TDS रिफंड: यदि आपकी कुल इनकम टैक्स सीमा में नहीं आती, तो ITR दाखिल कर TDS का रिफंड ले सकते हैं।
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FD में ब्याज फ्लकचुएशन नहीं: FD में ब्याज दर और मूलधन दोनों फिक्स होते हैं। शेयर, गोल्ड या म्यूचुअल फंड की तरह उतार-चढ़ाव नहीं होता।
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ब्लूचिप स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड विकल्प: FD से अधिक रिटर्न चाहने वाले निवेशक ब्लूचिप कंपनियों के शेयर या अच्छे म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं। कई फंड 20-30% तक का रिटर्न दे चुके हैं।
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ETF और गोल्ड में निवेश: गोल्ड पिछले 5 साल में दोगुना हुआ है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) भी अच्छा रिटर्न दे रहे हैं। लॉन्ग टर्म निवेश के लिए बेहतर विकल्प।
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रियल एस्टेट का विकल्प: प्रॉपर्टी में भी निवेश किया जा सकता है। हालाँकि यह विकल्प सीमित और बड़ा निवेश मांगता है, लेकिन बेहतर रिटर्न देने में सक्षम है।
FD से पहले ये जांच ज़रूरी
फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा लगाने से पहले ब्याज दर, टेन्योर, TDS कटौती, बैंक की सुरक्षा सीमा और इनकम टैक्स रिपोर्टिंग की स्थिति अच्छे से समझ लेना चाहिए। FD सुरक्षित है, मगर उससे जुड़ी शर्तें और फायदे-नुकसान को समझकर ही निवेश करना चाहिए। लॉन्ग टर्म और उच्च रिटर्न की चाह रखने वालों के लिए शेयर, म्यूचुअल फंड, ETF, गोल्ड, और रियल एस्टेट बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
FD का मतलब पूरी सुरक्षा और तय ब्याज जरूर है, मगर इसे कब और कैसे करना है — ये समझदारी से तय करें।